नवजात बच्चे या शिशु, पेट में दर्द या कब्ज की वजह से अक्सर रोने लगते हैं। ऐसे में उन्हें ग्राइप वाटर दिया जाता है। ग्राइप वाटर एक ओवर द काउंटर हर्बल सप्लीमेंट है। जिसे शिशुओं को घबराहट के इलाज के लिए माता-पिता देते हैं। अक्सर माता-पिता इसका प्रयोग गैस, पेट के दर्द और दांत निकालने के समय करते हैं। ग्राइप वाटर में मौजूद जड़ी बूटियां पेट के दर्द से शिशु को राहत प्रदान करती है। इस लेख में हम ग्राइप वाटर के फायदे और नुकसान के बारे में जानेंगे।
शिशु का पाचन तंत्र पूरी तरह से विकसित नहीं होता है। ऐसे में उसे पेट में दर्द, गैस और कब्ज की परेशानी होती रहती है। इन परेशानियों के कारण शिशु बहुत रोता है। ग्राइप वाटर को अलग-अलग मात्रा में अलग-अलग माह के बच्चों को दिया जाता है।
∙ यदि आपका शिशु 1 महीने से कम का है। तो आधा चम्मच ग्राइप वाटर इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है।
∙ यदि आपका शिशु एक से 6 महीने के बीच का है। तो आप एक चम्मच ग्राइप वाटर दे सकते हैं।
∙ यदि आपका शिशु 6 महीने से अधिक का है तो आप ग्राइप वाटर के दो चम्मच उसे पिला सकते हैं।
ग्राइप वाटर क्या है
ग्राइप वाटर में चीनी, अदरक की जड़ का अर्क, सौफ के बीज का अर्क, नींबू का मिश्रण होता है। हालांकि ग्राइप वाटर की सामग्री अलग-अलग ब्रांड के अनुसार अलग-अलग होती है। कई ब्रांड इस उत्पाद का उपयोग दो सप्ताह तक के बच्चों द्वारा करने का सुझाव देते हैं। इसके इस्तेमाल से पहले स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से जांच लें। कुछ लोग कहते हैं कि जब आपका बच्चा एक महीने या उससे अधिक का ना हो तब तक ग्राइप वाटर का प्रयोग ना करें। ऐसे में सावधानी बरतने की जरूरत है।
ग्राइप वाटर के फायदे
ग्राइप वाटर को शिशु को दिए जाने वाले सप्लीमेंट के रूप में जाना जाता है। इसको दवा मानना पूर्णता गलत है। ग्राइप वाटर के फायदे कई हैं।
- शिशुओं में पाचन संबंधी समस्या और हिचकी की समस्या से राहत के लिए ग्राइप वाटर का इस्तेमाल किया जाता है।
- शिशु का जब दांत निकलता है तो, उस समय वह बेहद परेशान होता है। जिस वजह से वह ज्यादा रोता है। ऐसे में शिशु को ग्राइप वाटर देने से उसे राहत मिल सकती है।
- शिशु के पेट में गैस बनने से उसका पेट फूल जाता है। ग्राइप वाटर के इस्तेमाल से पेट में बनी गैस से राहत मिलती है।
- ग्राइप वाटर को कोलिक बेबी को इलाज के लिए दिया जाता हैं। पेट में दर्द होने की वजह से शिशु देर तक रोता है तो, उसे कोलिक बेबी कहते हैं।
- ग्राइप वाटर डायाफ्राम को कंट्रोल करता है और हिचकी से राहत प्रदान करता है। अपच, एसिड रिफ्लक्स या पेट फूलने की वजह से डायाफ़्राम में किसी तरीके की दिक्कत होती है तो शिशु को लगातार हिचकी आने लगती है।
- यदि शिशु दूध पीने के बाद डकार नहीं लेता या फिर उसके ऊपर से दूध नहीं निकलता। ऐसी स्थिति में शिशु को ग्राइप वाटर देना चाहिए। इससे उसे डकार आती है।
ग्राइप वाटर के नुकसान
इस लेख में ऊपर हमने ग्राइप वाटर के फायदे और इस्तेमाल के तरीके के बारे में बात की है। आगे हम ग्राइप वाटर के नुकसान के बारे में जानते हैं।
- ग्राइप वाटर का इस्तेमाल वैसे तो बच्चों के लिए सुरक्षित माना गया है, लेकिन कई बार शिशु में इसके इस्तेमाल से एलर्जी भी देखने को मिल सकती है।
- ग्राइप वाटर उत्पाद को एफडीए द्वारा प्रमाणित नहीं किया गया है। जिस वजह से इसके इस्तेमाल से शिशु को एलर्जी भी हो सकती है। शिशु को देने से पहले किसी बाल रोग चिकित्सक से सलाह लेना बेहतर होगा।
- अलग-अलग ब्रांड के ग्राइप वाटर में अल्कोहल की मात्रा भी होती है। इसलिए बाजार से खरीदने से पहले मौजूद इंग्रेडिएंट्स जरूर जांच ले।
- ग्राइप वाटर देने के बाद शिशु के शरीर में खुजली, आंखों से पानी आना, सांस लेने में दिक्कत होना और होठ और जीभ में सूजन जैसे समस्या भी देखने को मिल सकती हैं।
- ग्राइप वाटर के इस्तेमाल के बाद शिशु को किसी भी तरह के एलर्जी के संकेत दिखने पर तुरंत बाल रोग चिकित्सक से परामर्श जरूर लें।
निष्कर्ष
ग्राइप वाटर शिशु को पेट में दर्द या गैस होने पर दिया जाता है। गैस होने पर पेट दर्द के कारण शिशु ज्यादा रोते हैं। ऐसे में जड़ी बूटियां पाचन में मदद करती है इसलिए मां-बाप ग्राइप वाटर का इस्तेमाल करते हैं। हिचकी को रोकने के लिए भी ग्राइप वाटर का इस्तेमाल किया जाता है। इससे शिशु के पेट के पीएच लेवल पर भी असर पड़ सकता है और शिशु में गंभीर लक्षण भी देखने को मिल सकते हैं। हालांकि यह कोई सिद्ध उपाय नहीं है। एफडीए की ओर से ग्राइप वाटर को प्रमाणित नहीं किया गया है। ऐसे में डॉक्टर की सलाह पर ग्राइप वाटर या किसी भी तरीके का दवा शिशु को दिया जाना चाहिए।